अधिक गुणकारी है कुसुम के फूलों की चाय
डाॅ. भागचन्द्र जैन
प्राध्यापक, (कृषि अर्थषास्त्र)
कृषि महाविद्यालय,रायपुर-492012
छत्तीसगढ़ में कुसुम की खेती रबी मौसम मंे की जाती है, जिसकी भाजी का उपयोग भोजन में रूचि के साथ किया जाता है। कुसुम (जिसे करडी कहा जाता है) में कांटे होते हैं, जिसे खेत के किनारे लगाने पर अन्य फसलों की सुरक्षा की जा सकती है। कुसुम का तेल और फल विभिन्न बीमारियांे की औषधि है।
- कुसुम के दानों में तेल की मात्रा 30 से 35 प्रतिषत तक पायी जाती है।
- इसका तेल स्वादिष्ट होता है तथा इसमें असंतृप्त वसीय अम्ल होते हैं, जिसके कारण इसका तेल हृदय रोगियों के लिए अधिक उपयोगी माना जाता है।
- कुसुम के तेल में ‘लिनोलिक अम्ल‘ की मात्रा 72 प्रतिषत होती है, जिसके कारण खून में कोलेस्ट्राल की मात्रा नहीं बढ़ पाती, इसलिए यह हृदय रोगियों के लिए दवा का काम करता है।
कुसुम से खली, रंग,वार्निष,पेन्ट,साबुन आदि बनाया जाता है। इसके हरे पत्तों की भाजी में लौह तत्व केरोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
जहां सूखे की संभावना रहती है, वहां कुसुम उपयुक्त फसल कुसुम होती है। इसकी जड़ें जमीन में बहुत गहरी जाती हैं, जिनमें पानी सोखने की क्षमता अपेक्षाकृत अधिक होती है।
फल बनने के बाद कुसुम के कुछ फूल बेकार होकर जमीन में गिर जाते हैं, यदि इन फूलों को झड़ने के पहले एकत्र कर लिया जाये तथा उनकी चाय बनायी जाये तो यह चाय औषधीय और गुणकारी होती है।