कृषि में बढ़ती हुई लागत, समर्थन मूल्य से राहत
‘कृषिरेव महालक्ष्मीः‘ अर्थात् कृषि ही सबसे बड़ी लक्ष्मी है, भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि कहलाती है, जहां 49 प्रतिषत व्यक्ति खेती कर रहे हैं। भारत विकासषील देष है। यहां से विभिन्न देषों को वर्ष 2013-14 में 3792.2 करोड़ डालर का कृषि निर्यात किया गया है, जिसमें 774.2 करोड़ डालर का चावल निर्यात शामिल है। भारत सबसे बड़ा चांवल निर्यातक देष है, जहां सबसे ज्यादा दूध और उद्यानिकी फसलों का उत्पादन होता है। वर्ष 2013-14 में कृषि विकास की दर 4.6 प्रतिषत रही है, जबकि सकल घरेलू उत्पाद की वृद्वि दर 4.7 प्रतिषत रही है। सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान केवल 13.9 प्रतिषत रह गया है। भारत मंे वर्ष 2013-14 में खाद्यान्न के उत्पादन का अनुमान 26.3 करोड़ टन लगाया गया है, जबकि वर्ष 2012-13 में 25.53 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ था। कृषि केवल जीवन यापन का साधन बनकर रह गई है, प्रति व्यक्ति कुल आमदनी की दृष्टि से भारत का विष्व में 161 वां स्थान है। कृषि में नई-नई तकनीक का उपयोग किया जा रहा है तथा बीज, उर्वरक, पौध संरक्षण सामग्री और श्रमिक व्यय दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। बौआई से लेकर कटाई-गहाई तक समय पर श्रमिक नहीं मिलते हैं। अन्य व्यवसायों से कृषि की तुलना करते हुये कृषि श्रमिक मजदूरी मांगते हैं। कृषि में समय पर आदानों की उपलब्धता न होना एक बड़ी समस्या है। स्वस्थ और गुणवक्तापूर्ण बीज महंगे होते जा रहे हैं। उर्वरकों के भाव भी बढ़ते जा रहे हैं। बढ़ती हुई महंगाई को देखते हुये आर्थिक दृष्टि से कृषि आदानों का उपयोग जरूरी है।
उर्वरक
1 जून 2012 से उर्वरकों के मूल्य में 11.1 प्रतिषत से लेकर 62 प्रतिषत तक वृद्वि की गई है। अपेै्रल 2010 के पहले डाई अमोनियम फाॅस्फेट (डी.ए.पी. ) की कीमत 9350 रूपये प्रति टन थी, जिसके मूल्य को अप्रैल 2010 में बढ़ाकर 18200 रूपये प्रति टन किया गया और वर्तमान में इसका मूल्य लगभग 32 प्रतिषत बढ़ कर 24000 रूप्ये प्रति टन हो गया है।
म्यूरेट आॅफ पोटाष (एम.ओ.पी.) का मूल्य अपै्रल 2010 के पहले 4455 रूपये प्रति टन था, जो कि अपै्रल 2010 से बढ़कर 12000 रूप्ये प्रति टन हो गया तथा वर्तमान में इसका मूल्य 41 प्रतिषत बढ़कर 17000 रूपये प्रति टन हो गया है। इसी प्र्रकार सिंगल सुपर फाॅस्फेट (एस.एस.पी.) का मूल्य 4800 रूप्ये प्रति टन से 62 प्रतिषत बढ़कर 7800 रूप्ये प्रति टन हो गया है, जबकि यूरिया के मूल्य में 11.1 प्रतिषत की वृद्वि हुई है, जिससे यूरिया का मूल्य 4830 रूप्ये से बढ़कर 5365 रूप्ये प्रति टन हो गया है।
50 किलो डी.ए.पी. को बोरी 1125 से 1223 रूप्ये में मिल रही है। एम.ओ.पी. की बोरी 910 रूपये में एस.एस.पी. की बोरी 263 रूपये से 363 रूपये में बिक रही है।
समर्थन मूल्य
समर्थन मूल्य की घोषणा शासन द्वारा प्रति वर्ष की जाती है, जिसमें अनाज, दलहन, तिलहन, कपास, जूट और तम्बाखू शामिल होती है। समर्थन मूल्य पर किसानों से कृषि उत्पाद खरीदकर उनके हितों की रक्षा की जाती है। उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए आवष्यक वस्तुओं की पूर्ति सुनिष्चित की जाती है। समर्थन मूल्य प्रायः बाजार मूल्य से कम होता हेैं।
औद्योगिक उत्पादन की अपेक्षा कृषि में मूल्य का उतार-चढ़ाव अधिक होता है, जिसका प्रभाव उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों पर पड़ता है, इसका लाभ मध्यस्थ उठाते हैं। यदि कृषि उत्पादों के मूल्य अधिक बढ़ जाते हेैं तो कम आय वाले व्यक्ति ये उत्पाद खरीद नहीं पाते हैं।
कृषि में बढ़ती हुई लागत को समर्थन मूल्य से राहत मिली है। प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियों में उर्वरकों के लिए अग्रिम उठाओं योजना चलायी जा रही हैय जिसमें उर्वरकों के लिए ऋण के ब्याज में कुछ अवधि के लिए छूट दी जा रही है। कृषि में उपयोग किये जाने वाले आदानों को अब भूमि, किस्म, फसल अवधि के अनुसार उपयोग करना आवष्यक हो गया है, जिससे कम लागत में अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त हो और ‘उत्तम खेती मध्यम बंज‘ की उक्ति चरितार्थ हो सके।