छत्तीसगढ़ में हल्दी का विपणन
डाॅ भागचन्द्र जैन,
प्राध्यापक
कृषि महाविद्यालय, रायपुुर
सदियों से हल्दी का उपयोग धार्मिक, रीति रिवाजों में किया जाता हैः दाल हो या सब्जी या हो स्वादिष्ट पकवान, सभी में हल्दी का उपयोग किया जाता है। यह एक मसाले वाली महत्वपूर्ण फसल है, जिसकी खेती बगीचों में भी अद्र्व छायादार स्थान में अंतवर्ती फसल के रूप में कर सकते हैं।
विष्व की 70 प्रतिषत हल्दी भारत में उत्पन्न होती हैं। भारत में वर्ष 2011-12 में 6.30 लाख टन हल्दी का उत्पादन हुआ था तथा वर्ष 2012-13 में 33 प्रतिषत वृद्वि का अनुमान लगाया गया है। भारत में हल्दी की खेती करने वाले प्रमुख राज्य आंध्रप्रदेष कर्नाटक, उड़ीसा तथा तमिलनाडू हैं। आंध्रप्रदेष में व्यापक रकवा है, जहां 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में हल्दी की खेती की जाती है। देष के कुल हल्दी उत्पादन का लगभग 54 प्रतिषत उत्पादन आंध्रप्रदेष में हेाता है। देष का दूसरा सबसे बड़ा हल्दी उत्पादक प्रदेष उड़ीसा है, जहां लगभग 24,300 हेक्टेयर क्षेत्र में हल्दी की खेती की जाती है। उपज की दृष्टि से कर्नाटक राज्य का प्रथम स्थान है, जहां सर्वाधिक उत्पादकता 1301 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त हुई है। ब्रिटेन, नीदरलैंड, जर्मनी, मलेषिया, श्रीलंका, अफ्रीका, स्पेन, सिंगापुर, सऊदी अरेबिया में हल्दी का निर्यात किया जाता है।
भारत से हल्दी का निर्यात
वर्ष निर्यात (टन)
2010 107924
2011 94093
2012 98707
2013 69550
हल्दी को उत्पन्न करना जितना महत्वपूर्ण होता है, उतना ही महत्वपूर्ण इसका विक्रय होता है। हल्दी की विपणन व्यवस्था निम्नलिखित बिंदुओं से जुड़ी हुई हैः
1. हल्दी उत्पादन: हल्दी उत्पादन में वृद्वि के लिए उन्नत तकनीक अपनायी जायेः अधिक उत्पादन होने पर उसे प्रक्रिया इकाईयों तक सीधे पहुंचाया जा सकता है। उत्पादन की मात्रा कम होने पर उसे घरेलू विधि द्वारा प्रसंस्करित किया जा सकता है।
साफ किये हुये कंदों को पानी में उबालें
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मटका या तांबे की कड़ाही में उबालें
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कड़ाही के ऊपरी भाग को पत्तियों से ढंक दें,
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सफेद धुंआ के साथ गंध निकलने तक उबालें
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मुलायम हल्दी
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खुरदरे फर्ष पर हल्दी को बोरों की सहायता से रगड़ें ऊपर का छिलका निकल जायेंगा
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10-12 दिन तक धूप में हल्दी सुखायें
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पुनः सूखने पर उसे फर्ष पर रगड़कर सूखे छिलके को निकालें
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कुछ हल्दी पीसगर, शेष हल्दी को रंगकर चमकायें
2. हल्दी भण्डारण
खुदाई के बाद हल्दी के मूल प्रकंदों को छाटें
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मिटटी के फर्ष को खोदें
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उसमें हल्दी के पत्ते, आदि भरें
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बीज वाले मातृकंद को भरें
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अंत मंे घास, पत्ते डालकर मिटटी से ढकें।
छत्तीसगढ़ में हल्दी की खेती की व्यापक संभावनाएं हैं। जहां उत्पादक अपना संध बनाकर सामूहिक रूप से हल्दी की विक्री कर सकते है।
- हल्दी उत्पादक क्षेत्रों में उत्पादन की मात्रा का पता लगाया जाये तथा उत्पादन की मात्रा अधिक होने पर ही जरूरत के अनुसार प्रसंस्करण इकाई लघु उद्योग के रूप् में खोली जायें।
- हल्दी भण्डारण हेतु उत्पादक क्षेत्रों में पंचायत स्तर पर व्यवस्था की जानी चाहिए।
विक्री हेतु माध्यम
(अ) घरेलू प्रसंस्करित हल्दी: यदि हल्दी का प्रसंस्करण घर पर कर लिया जाता हेै तो उसे
निम्नलिखित माध्यमों द्वारा बैचा जा सकता हैः
1. उत्पादक – उपभेक्ता
2. उत्पादक – व्यापारी – उपभोक्ता
(ब) बिना प्रसंस्करण वाली हल्दीः अधिक उत्पादन होने पर उसे बिना प्रसंस्करण के सीधे प्रक्रिया
इकाईयों तक पहुंचाया जा सकता है।
1. उत्पादक – प्रसंस्करणकर्ता – व्यापारी – उपभोक्ता
2. उत्पादक – उत्पादक संघ – प्रसंस्करणकर्ता – व्यापारी – उपभोक्ता