दांतों की देखभाल कैसे करें?
डाॅ. अरविन्द जैन
एम0डी0एस0 स्कालर,
जैन मल्टी स्पेषियलिटी डेन्टल क्लीनिक, त्क्।
काम्पलेक्स, न्यू राजेन्द्र नगर,
रायपुर-492006
दांत मुंह की शोभा बढ़ाते हैं। दांतों की सुन्दरता हंसी की शोभा बढ़ाती है। शरीर को स्वस्थ रखने में दांत मदद करते हैं। क्योंकि दांतों पर रोगांें का प्रकोप होने पर हमारा स्वास्थ्य प्रभावित होता है। अतः दांतों की उचित तरीकों से देखभाल करें क्या जानते हैं आप अपने दांतों के बारे में ?
(अ) उद्गम के आधार पर – उद्गम के आधार पर दांतों को दो भागों में बांटा जाता हैः
(ं।) प्राथमिक, अस्थाई या दूध के दांत –
1.ये वह दांत है, जो जन्म के बाद उगते हैं तथा 5-6 वर्षों तक रहते हैं|
2.इनकी संख्या 20 होती है।
3.ये बिलकुल सफेद होते हैं, इसी कारण इन्हें दूध के दांत कहा जाता है।
(2) स्थाई दांत –
1.बाद दूध के दांतों का स्थान लेते हैं।
2.ये रंग में पुर्णतः सफेद नहीं होते हैं।
3.ठनकी संख्या 32 होती है।
4.ये चार प्रकार के होते हैं।
(ब) संरचना के आधार पर – इसके आधार पर दांतों को दो भागों में बांटा जा सकता हैः जड़ और मुकुट
1. जड़ – यह वह भाग होता है, जो जबड़े के अंदर तथा मसूड़ों में छुपा हुआ रहता है। यह संवेदनषील तथा दांतों का जीवित भाग होता है।
2.ण्मुकुट – वह भाग, जो हमें मुंह के अंदर दिखाई देता है। यह भाग ही दांतों के कार्याें तथा उसके प्रकार का निर्धारण करता है।
दांतों की भूमिका हमारे जीवन मेंः-
दांतों का सबसे महत्वपूर्ण कार्य भोजन को चबाना होता है, इसके अभाव में एक स्वस्थ जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
मुंह को आकार देने में दांतों का सबसे बड़ा योगदान हैं।
दांत हमारे होठों को आधार प्रदान करते हैं, इसी आधार पर ही हम बोल पाते हैं।
ये भोजन को चबाते वक्त उसकी सीमा तथा दिषा का निर्धारण करते हैं।
सौदर्य बढ़ाने में दांतों को अनदेखा नहीं किया जा सकता ? सफेद, चमचमाते दांत प्रत्येक को अपनी ओर आकर्षित करते है। शारीरिक रक्षा तंत्र भी दांतों द्वारा प्रभावित होता है। दांतों से भोजन को चबाते वक्त होने वाली लार का स्त्रवण हमारे शरीर को हानि पहुंचाने वाले सूक्ष्म जीवों को नष्ट करता है।
दांतों में होने वाली सड़न, बीमारियां और उनका उपचारः-
1. दांतों में लगने वाल कीड़े, सड़न और काले धब्बे:-
1. दांतों की सतह पर होने वाली ये सड़न दांतों की सतह की कठोरता को नष्ट कर देती है। वहां काले धब्बे दिखाई देते हैं, जिनका वकत के साथ उपचार न करने पर पीड़ा देते हैं।
2. दांत के सड़े हुये भाग को निकालकर उसमें सीमंेट द्वारा स्थानांतरित कर दिया जाता है।, जो स्थाइ्र्र तथा सम्पूर्ण आयु के लिए होता है।
3. सड़न बढ़ जाने की स्थिति में दांतों को बाहर निकाल दिया जाता है।
(2) टेढ़े-मेड़े दांतों की समस्या और उपचार:-
दांतों का टेढ़ा-मेड़ापन दूर करने के लिए उन्हें तार द्वारा कसकर व्यवस्ािित किया जा सकता है, जिसमें छैः माह से लकर एक वर्ष तक का समय लग जाता है।
(3) गिरे हुये, झड़े हुये दांतों की समस्या और उपचार:-गिरे हुये या झड़े हुये दांतों को नकली दांतों द्वारा स्थानांतरित कर सकते हैं। ये दांत पूर्णतः असली दांतों की तरह दिखाई देते हैं तथा कार्य करते है। लगाये गये नकली दांत संख्या मं एक या एक से अधिक या सम्पूर्ण जबड़ा हो सकता है।
दांत निकलवाने/सर्जरी के बाद हमें यह करना चाहिए:-
1.निकाले हुये दांत पर डाक्टर द्वारा दी गई रूई को एक घंटे तक दबाकर रखें।
2. ठण्डे एवं नरम भोजन का सेवन करें।
3.डाॅक्टर की सलाह के अनुसार दवाई का प्रयोग करें।
4. दांत निकलवाले क बाद थोड़ा-थोड़ा खून निकलना सामान्य सी बात है, यदि 24 घण्टे में भी खून निकलना नहीं रूकता है तो तुरंत डाॅक्टर से सम्पर्क करें।
5.छांत निकलवाने के एक दिन बाद कुनकुने पानी में एक चम्मच नमक डालकर दिन में चार बार कुल्ला करें, जिससे घाव जल्दी सूखता है।
6. स्ूजन को रोकने के लिए गाल के ऊपर बर्फ को 20 मिनट तक रखकर सिकाई करें। इस प्रक्रिया को पहले 24 घंटे में हर घंटे करें।
दांत निकलवाने/सर्जरी के बाद हमें यह नहीं करना चाहियेः-
1. दो दिन तक गरम, तीखा, कठोर आहार का सेवन नहीं करना है।
2.बीड़ी, सिगरेट,तम्बाखु,गुटखा एवं षराब का सेवन न करें, इन पदार्थों के सेवन से घाव देर से सूखता है।
3. पहले दिन थूकना, कुल्ला करना एवं ज्यादा बात करना मना है।
4. घाव में जमंे हुये खून/थक्का से छेड़़छाड़ न करें, इससे खून निकलना बढ़ सकता है।
5. घाव की जगह अंगुली/जीभ का प्रयोग न करें।
6. स्ट्रा मंे पेय पदार्थों का सेवन न करें।
7. गर्म की सिकाइ्र्र या बाम इत्यादि न लगायें।
दातों की देखभाल :-
1.दांतों को खराब करने या उनमें होने वाली सड़न का सबसे महत्वपूर्ण कारक तम्बाखु, गुटका, सुपारी, पान आदि है।
2. दांतों को साफ रखने के लिए किये जाने वाले मंजन में ब्रुष व पेस्ट या बारीक पाउडर का उपयोग होना चाहिए।
3. उपयोग में आने वाला ब्रुष मध्यम कठोरता वाला हो।
4. ब्रुष को सदैव 45 डिगरी के कोण पर ही करना चाहिए, प्रतिदिन दो बार दांतों की सफाई की जाये।
5.4-5 बार साधारण कुल्ला किया जाना चाहिए।
6. भोजन के पष्चात या कुछ खाने के पष्चात ध्यान रहे कि उसका कुछ भाग दांतों की सतह पर चिपका न रह गया हो।
7. मीठे खाद्य पदार्थ के पष्चात कुछ साधारण पदार्थ अवष्य खायें अर्थात मीठे पदार्थ का सेवल सदैव बीच में करें।
8.दांतों में होने वाली किसी भी परेषानी के लिए शीघ्र दंत चिकित्सक से परापर्ष लें।
कुछ महत्वपूर्ण याद रखने योग्य तथ्य:-
1. दांतों की सफाई या मंजन करने के लिए गुड़ाखु, दातौन या मिटटी का उपयोग दांतों के साथ-साथ पेट के लिए भी हानिकारक है।
2. मुंह में प्राकृतिक दांतों को उखाड़ने का असर नेत्रों की रोषनी पर नहीं पड़ता है।
3.अगर आप नकली दांतों का उपयोग करते हैं तो उसे रात को सोते वक्त उतार कर रख देना चाहिए तथा मुंह की उस सतह का हल्का मसाज करना चाहिए, जहां दांत पहनते हैं।
4.नकली दांतों को साबुन या सर्फ से साफ करना चाहिए, उन पर पेस्ट या ब्रष का उपयोग नहीं करना चाहिए।
5. टेढ़े-मेड़े दांतों के इलाज के लिए उपयुक्त उम्र 13-14 वर्ष होती है
6. दांतों के द्वारा किसी व्यक्ति की उम्र का निर्धारण नहीं किया जा सकता है।
7. दांत को उखड़वाने से पूर्व जरूर भोजन करना चाहिए, खाली पेट दांत उखड़वाना हानिकारक होता है।
8. दांत उखड़वाने के पष्चात तरल व ठण्डे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चााहिए।
दांतों की सुरक्षा के बेहतरीन नुस्खे:-
- दिन में कम से कम दो बार ब्रुष और पेस्ट से अपने दांतों की और जीभ की सफाई करें।
- कुछ भी खाने के बाद पानी से कुल्ला करें।
- संतुलित आहार लें।
- मीठे और चिपकने वाले पदार्थों का सेवन कम करें।
- पान, सुपारी तथा धूम्रपान से बचें।
- नियमित जांच के लिए दांतों के डाॅक्टर से सम्पर्क करें।
अगर आप इनमें से किसी भी लक्षण से पीड़ित हैं, तो दंत चिकित्सक से सम्पर्क करें।
- गर्म तथा ठण्डे पदार्थ या मिठाईयों के प्रति दांत का संवेंदनषील होना।
- मसूड़े के किनारे या उसके नीचे सूजन या सूखापन होना।
- दांत पर धब्बे पड़ना।
- मुंह में असहनीय दर्द का होना।
- मंुह का तीन अंगुलियों से कम खुलना।
दांतों की सुरक्षा कीजिये
आपके दांत
जीवन की अंतिम घड़ी तक के लिए बने हैं……
केवल आप ही अपने दांतों की सुरक्षा कर सकते हैं।