धान की अपेक्षा मक्का अधिक लाभकारी
डाॅ. भागचन्द्र जैन
प्राध्यापक,
कृषि महाविद्यालय,रायपुर -492012
बाजार की मांग को देखते हुए कृषि में बदलाव आ रहा है। परम्परागत ढंग से की जाने वाली खेती में प्रायः आमदनी कम होती थी, इसलिए अब किसानों का रूझान उन्नत तकनीक की ओर हाने लगा है। छत्तीसगढ़ धान का कटोरा कहलाता है, जहां धान की खेती की अपेक्षा मक्का की खेती लाभकारी सिद्व हुई है- इसे चरितार्थ किया है परसवानी (महासमुंद) के महामाया कृषक क्लब ने। इस क्लब का गठन अगस्त 2010 में 15 किसानों ने किया था।
इस क्लब के गठन के पहले किसानों द्वारा धान की खेती परम्परागत तरीके से की जाती थी, देषी किस्मों को लगाया जाता था। क्लब के गठन के बाद छत्तीसगढ़ शासन के कृषि विभाग में सम्पर्क किया, तब उप संचालक कृषि श्री विकास मिश्राा और उनक सहयोगियों ने धान की तुलना में मक्का की खेती करने की सलाह दी, कृषि विज्ञान केन्द्र, महासमुंद के तत्कालीन कार्यक्रम समन्वयक डाॅ. एच.के.अवस्थी के निर्देषन में प्रषिक्षण और भ्रमण किया तथा मक्का की खेती करने का दृढ़ निष्चय किया। वर्ष 2010 में मक्का की खेती से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त हुई। क्लब के किसानों की कड़ी मेहनत से वर्ष 2011 में प्रति हेक्टेयर 75 क्विंटल उपज प्राप्त हुई। मक्का की उपज में हुई यह वृद्वि निम्नानुसार तकनीक अपनाने से हुई हैः
- उपयुक्त समय पर भूमि की तैयारी,
- उन्नत किस्मों का उपयोग,
- बीज का उपचार,
- उपयुक्त समय पर बौआई,
- निर्धारित बीजदर,
- अनुषंसित पौध अंतरण,
- अनुषंसित मात्रा में गोबर की खाद और उर्वरकों का उपयोग,
- उपयुक्त समय पर सिंचाई, पौध संरक्षण,
- फसल चक्र के अनुसार फसलों की खेती,
धान की खेती में नलकूप से केवल 1.20 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो पाती थी, किन्तु मक्का की खेती करने पर यह सिंचाई सुविधा 4 हेक्टेयर में उपलब्ध होने लगी, क्योंकि धान की अपेक्षा मक्का में कम पानी की आवष्यकता होती है तथा मक्का से आमदनी दो गुनी से अधिक होती है। मक्का के दानों का व्यापार कुक्कुट प्रक्षेत्र, महासमुंद और स्थानीय किसानों को किया जाता है, जिससे प्रति हेक्टेयर 65 से 70 हजार रूप्ये आमदनी होती है।
क्लब के अध्यक्ष श्री संतोष चन्द्राकर, उपाध्यक्ष श्री जनहरण साहू तथा सचिव श्री टेमन चन्द्राकर ने जानकारी देते हुये बताया कि क्लब द्वारा प्रति माह 100 रूप्ये की राषि सदस्यों से एकत्र की जाती है, जिससे बैंक में क्लब द्वारा एक लाख रूप्ये से अधिक राषि जमा की जा चुकी है। क्लब को कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन संस्था (Agriculture Technology Management Agency) ‘आत्मा‘ योजना के अंतर्गत सहायता प्रदान की गई है। क्लब के सदस्यों ने कांकेर, कोण्डागांव और बस्तर का भ्रमण किया है। क्लब आज साधन सम्पन्न है, जिसके अधिपत्य में ट्रेक्टर, नलकूप, रोटावेटर, सीड ड्रिल, कल्टीवेटर, थ्रेसर, स्पिं्रकलर पौध संरक्षण यंत्र आदि है।
उद्यमिता की मिसाल पर कायम महामाया कृषक क्लब, परसवानी को आत्मा योजना के तहत कृषक उत्पादकता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। क्लब के सदस्य ग्राम सुराज अभियान में भी पुरस्कृत हुये हैं।
धान एवं मक्का की खेती से आमदनी