मेरा छत्तीसगढ़
ऋषि मुनियों की तपोस्थली, यह कौषल्या का जन्म स्थान।
सुन्दर है, छोटा है, प्यारा है, मेरा छत्तीसगढ़ महान।
यहां से फैली विष्व में सभ्यता, संस्कृति और ज्ञान।
धान का यह कटोरा, है पूरे भारत की शान।
जहां राजा मोरध्वज, वाणासुर ने शासन चलाये थे।
वहां माता शबरी की कुटिया में, राम ने बेर खाये थे।
मेरा छत्तीसगढ़ सचमुच प्राकृतिक संसाधनों की खान।
ऋषि मुनियों की तपोस्थली, यह कौषल्या का जन्म स्थान।
जहां जीवनदायिनी महानदी, अरपा, इंद्रावती, षिवनाथ।
वहां की अमीर धरती पर सब मिलकर रहते साथ।
जहां तक देखो । बस वहां दिखती है धान ही धान।
ऋषि मुनियों की तपोस्थली, यह कौषल्या का जन्म स्थान।
27 जिले, एक दर्जन विष्वविद्यालय, यहां लघु भारत भिलाई।
कोरबा, बैलाडीला यहां है, कर रहे उद्योगों की भरपायी।
छत्तीसगढ़ की माटी के कण-कण में है भगवान।
र्ऋिष मुनियों की तपोस्थली, यह कौषल्या का जन्म स्थान।