सहकारी आंदोलन में महिलाओं की भूमिका
डाॅ. भागचन्द्र जैन
प्राध्यापक (कृषि अर्थषास्त्र)
कृषि महाविद्यालय,रायपुर-492012
‘यत्र नारी पूज्यन्ते, तत्र रमन्ते देवता‘ शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवताओं का वास होता है। भारतीय संस्कृति में नारी का योगदान स्मरणीय रहा है। समय परिवर्तनषील है, आज महिलायें अपनी योग्यता, गुणवत्ता, षिक्षा कार्य कुषलता के आधार पर पुरूषों के बराबर कार्य कर रही हैं तथा कुछ क्षेत्रों में महिलायें आगे भी हैं क्योंकि पुरूषों की तुलना में महिलाओं में धैर्य, नम्रता तथा विभिन्न परिस्थितियों में अपने आपको ढालने, घुल-मिल जाने की क्षमता प्रायः अधिक रहती है। बालिका से लेकर महिलाओं तक इनमें एक अच्छे प्रबंधन की क्षमता होती है किन्तु यह विडम्बना है कि भारत के व्यवसायों में महिलाओं की भागीदारी केवल 5 प्रतिषत है। सहकारिता के क्षेत्र में ‘ लिज्जत पापड़‘ उद्योग महिलाओं की अप्रत्याषित सफलता की कहानी सुना रहा है, लिज्जत पापड़ जैसे उद्योगों सें महिलायें अनुसरण कर सकती हैं।
‘पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ग्रामीण विकास हेतु तीन आवष्यकतायें बतायी थीं – ग्राम पंचायत, सहकारी समिति और पाठशाला। ग्राम पंचायत से सामाजिक उद्देष्यों की पूर्ति होती है, सहकारी समिति से आर्थिक उद्देष्यों की पूर्ति होती है, और पाठशाला से शैक्षणिक उद्देष्यों की पूर्ति होती है। गांव-गांव में ये तीनों संस्थायें कार्यरत हैं, बस जरूरत है इन संस्थाओं की समर्पण भावना से कार्य करने की। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सहकारिता में महिलाओं की भूमिका इस प्रकार बतायी थीं – ‘यदि जनता में जागृति पैदा करनी है तो पहले महिलाओं में जागृति पेैदा करों। एक बार जब वे आगे बढ़ती हैं तो परिवार आगे बढ़ता है, गांव व शहर आगे बढ़ता है – सारा देश आगे बढ़ता है।‘
सहकारिता में महिलायें आगे आ सकती हैं, यदि वे संगठित हो जायें तथा सहकारी समिति गठित कर अपनी जरूरतों को पूर्ण करने में सक्षम बने। हमारे कृषि प्रधान देष में फसलों की बुवाई से लेकर कटाई तक के 5.0 प्रतिषत से अधिक कार्य महिलायें करती हैं तो क्या वे मसाला, पापड़, दाल, बिसकुट, फल सब्जी संरक्षण में आगे्र क्यों नहीं आ सकती हैं – बस जरूरत है इनके मार्गदर्षन की ओर महिलाओं को जागृत करने की।
भारत का दुग्ध उत्पादन में विष्व में पहला स्थान है। यह गौरव का विषय है कि भारत में स्थित विभिन्न डेरियों में 18 लाख स्त्रियां कार्य कर रही हैं तथा वे दुग्ध उत्पादन बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। दुग्ध सहकारिता के क्षेत्र में गुजरात में महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। सहकारी संस्थाओं की संख्या में वृद्वि हो और उनमें महिलाओं की अधिक से अधिक भागीदारी बढ़े, इसके लिए सहकारी नियमों, उप नियमों में संषोधन कर महिलाओं के लिए आरक्षण सुनिष्चित किया गया है।
पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं में बचत करने की प्रवृत्ति अधिक पायी जाती है, इसलिए सहकारी साख समितियों में बचत बैंक खोले गये हैं। महिलाओं की आर्थिक उन्नति के लिए विभिन्न योजनायें संचालित की जा रही हैं। इन योजनाओं में अनुदान भी दिया जा रहा है।
सदियों से उद्यम और परिश्रम के लिए महिलायें मषहूर रही हैं, परन्तु उन्हें जरूरी सहायता नहीं मिल पायी है, जिसके कारण वे देष में हो रहे विकास से लाभान्वित नहीं हो पायी हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि विकास के संसाधन जैसे – ऋण, तकनीकी, प्रषिक्षण, उन्नत औजार – उपकरण तथा वितरण के अवसर का अधिकांष लाभ पुरूषों पर केंद्रिक रहा है। इस असंतुलन को दूर करने के लिए उद्योगों से महिलाओं को जोड़ने के लिए प्रयास किये जा हैं, जैसे – हाथ करघा संचालनालय, रेषम संचालनालय, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, हस्त षिल्प विकास निगम, चर्म विकास निगम, चर्म विकास निगम, बुनकर सहकारी संघ, पावरलूम सहकारी संघ तथा औद्योगिक सहकारी संघ में महिला उद्यमियों की भागीदारी सुनिष्चित की गई है।
कृषि कार्यों और दुग्ध व्यवसाय में महिलायें लगी हुई हैं, वे स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं है – इन बातों को सभी जानते हैं। अकेली कृषि से ही गांवों का विकास नहीं हो सकता, क्योंकि दिनों दिन जनसंख्या बढ़ती जा रही है। अब कृषि के साथ-साथ कृषि आधारित व्यवसायों, ग्रामोद्योगों को भी बढ़ावा देना होगा। ग्रामोद्योगों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रमुख कदम उठाये जा रहे हैं, जैसे –
- महिलाओं के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का लाभ पहुंचाने हेतु महिला तथा पुरूषों की गणना पृथक रूप से की जा रही है।
- शासकीय कार्यक्रमों के विभिन्न अंतर्गत ग्रामोद्योगों में कम से कम 50 प्रतिषत महिला हितग्राही शामिल किये जा रहें है।
- महिला उद्यमियों को सभी प्रषिक्षण कार्यक्रमों में अनिार्य रूप से शामिल किया जा रहा है।
- ग्रामोद्योगों के लिए जिला ग्रामीण विकास अभिकरण, महिला एवं बाल विकास विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा जरूरी सुविधायें उपलब्ध करायीं जा रहीं हैं।
- महिलाओं में उद्यमिता बढ़ाने के लिए अषासकीय संस्थाओं और महिला समूहों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है!
- महिलाओं को पंचायती राज के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी देकर ग्रामोद्योग को बढ़ावा दिया जा रहा है। महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने के लिए सहकारिता महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है, यदि उन्हें साधन और पूंजी सहकारिता द्वारा उपलब्ध करा दी जाती है तो वे विपणन, बचत, उत्पाद की गुणवत्ता और आमदनी बढ़ाने में आगे आ सकती हैं।